दुनिया से मैं हारा हु तकदीर का मारा हूँ,
जैसा भी हु अपना लो मैं बालक तुम्हारा हूँ,
पापो की गठरी ले फिरता मारा मारा,
नही मिलती है मंजिल नही मिलता किनारा,
नहीं कोई ठिकाना है मैं तो बेसहारा हूँ,
जैसा भी हु अपना लो मैं..........
दुनिया से जो माँगा है मिलती रुसवाई है,
तेरे दर पे सुनते है होती सुनवाई है,
दुःख दूर करो मेरे मैं भी दुखाराया हूँ,
जैसा भी हु अपना लो मैं..........
कोशिश करते करते नही नाव चला पाया,
आखिर में थक करके तेरे दवार पे हु आया,
इस श्याम को तारो गे तुझे दिल से पुकारा हूँ,
जैसा भी हु अपना लो मैं..........
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